द्रोपदी की सुहागरात का सच - draupadi's wedding night
राजा द्रुपद ने अपनी पुत्री द्रोपदी के विवाह के लिए स्वयंवर किया था और ब्राह्मण वेश में आए अर्जुन ने स्वयंवर की शर्त को पूरा करके द्रोपदी को अपनी पत्नी बना लिया था.
उस समय पांचो पांडव जो भी भिक्षा मांग कर लाते थे उसको उनकी माता कुंती पांचों भाइयों में बांट देती थी.
जब अर्जुन और भीम द्रोपदी को लेकर घर आए तो उन्होंने दरवाजे पर खड़े होकर कहा कि आज हम यह भिक्षा लेकर आए हैं तो उनकी मां ने बिना देखे यह कह दिया की पांचों भाई इसका उपभोग कर लो.
पांचों पांडव बहुत सत्यवादी थे इसी कारण से पांचों भाइयों को द्रोपदी से विवाह करना पड़ा.
"द्रोपदी ने सबसे पहले पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर के साथ विवाह किया और उस रात कक्ष में युधिष्ठिर के साथ पत्नी धर्म निभाया.
अगले दिन द्रोपदी का विवाह भीम के साथ हुआ और उस रात कक्ष में द्रोपदी ने भीम के साथ पत्नी धर्म निभाया.
इसी प्रकार अर्जुन ,नकुल और सहदेव के साथ द्रोपदी का विवाह हुआ और इन तीनों के साथ भी द्रोपदी ने पत्नी धर्म निभाया."
यहां सोचने की बात यह है कि अपने एक पति के साथ पत्नी धर्म निभाने के बाद द्रोपदी ने अपने दूसरे पतियों के साथ पत्नी धर्म कैसे निभाया?
"द्रोपदी को भगवान शिव की ओर से पांच पतियों का वरदान मिला हुआ था और उसको यह भी वरदान था कि वह प्रतिदिन कन्या भाव प्राप्त कर लिया करेगी (she will never loss her virginity)
इसी कारण से द्रोपदी अपने पांचों पतियों को कन्या भाव में ही प्राप्त हुई."
पांचों पांडवों के बीच यह भी तय हुआ था कि जब द्रोपदी किसी एक के साथ समय व्यतीत कर रही होगी तो उस समय कक्ष में कोई दूसरा प्रवेश नहीं करेगा.
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